जब छुक छुक बातें होती हैं
जब दुनिया कुछ कुछ कहती है
जब ठंडी -ठंडी तेज़ हवा
चेहरे पर फर्र-फर्र पड़ती है
जब कोई कहीं चिल्लाता है
और गाली कहीं से पड़ती है
जब केहुनी की ठोकर से
वह आगे -पीछे खिसकती है
जब सीट की बूकिंग होती है
हर इंच की गिनती होती है
जब कहते कहते थक जाओ
एक सूत भी ना वह सरकती हैं
जब चर्चगेट से चढ़ती हूँ
और जोगेश्वरी उतरती हूँ
इस बीच यह बातें होती हैं
जब दुनिया कुछ कुछ कहती है
Wednesday, 25 November 2009
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